Aigiri Nandini Lyrics - Mahisasurmardini Stotram
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi with Meaning:
अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१।।
हे हिमालायराज की कन्या, विश्व को आनंद देने वाली, नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत, गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली,भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली, इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत, भगवान् नीलकंठ की पत्नी, विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली है महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती! अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते।
त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते।।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।२।।
देवों को वरदान देने वाली,दुर्धर और दुर्मुख असुरों को मारने वाली और स्वयं में ही हर्षित (प्रसन्न) रहने वाली, तीनों लोकों का पोषण करने वाली, शंकर को संतुष्ट करने वाली, पापों को हरने वाली और घोर गर्जना करने वाली, दानवों पर क्रोध करने वाली, अहंकारियों के घमंड को सुखा देने वाली, समुद्र की पुत्री हे महिषासुर का मर्दन करने वाली,अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते।
शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते।।
मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।३।।
हे जगतमाता, मेरी माँ, प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली,हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित, मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली,महिष को विदीर्ण करने वाली,सदा युद्ध में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते।
रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते।।
निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।४।।
शत्रुओं के हाथियों की सूंड काटने वाली और उनके सौ टुकड़े करने वाली,जिनका सिंह शत्रुओं के हाथियों के सर अलग अलग टुकड़े कर देता है, अपनी भुजाओं के अस्त्रों से चण्ड और मुंड के शीश काटने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते।
चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते।।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।५।।
रण में मदोंमत शत्रुओं का वध करने वाली, अजर अविनाशी शक्तियां धारण करने वाली, प्रमथनाथ(शिव) की चतुराई जानकार उन्हें अपना दूत बनाने वाली, दुर्मति और बुरे विचार वाले दानव के दूत के प्रस्ताव का अंत करने वाली, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभय दायकरे।
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शूलकरे।।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिनकरे।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥६।।
शरणागत शत्रुओं की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें अभयदान देने वाली, तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्यों पर प्रहार करने योग्य त्रिशूल धारण करने वाली, देवताओं की दुन्दुभी से 'दुमि दुमि' की ध्वनि को सभी दिशाओं में व्याप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते।
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते।।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।७।।
मात्र अपनी हुंकार से धूम्रलोचन राक्षस को धूम्र (धुएं) के सामान भस्म करने वाली, युद्ध में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न अन्य रक्तबीजों का रक्त पीने वाली, शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों की बली से शिव और भूत- प्रेतों को तृप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके।
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके।।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्वहुरङ्ग रटद्बटुके।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।८।।
युद्ध भूमि में जिनके हाथों के कंगन धनुष के साथ चमकते हैं,जिनके सोने के तीर शत्रुओं को विदीर्ण करके लाल हो जाते हैं और उनकी चीख निकालते हैं, चारों प्रकार की सेनाओं [हाथी, घोडा, पैदल और रथ] का संहार करने वाली अनेक प्रकार की ध्वनि करने वाले बटुकों को उत्पन्न करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते।
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते।।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।९।।
देवांगनाओं के तत-था थेयि-थेयि आदि शब्दों से युक्त भावमय नृत्य में मग्न रहने वाली, कु-कुथ अड्डी विभिन्न प्रकार की मात्राओं वाले ताल वाले स्वर्गीय गीतों को सुनने में लीन, मृदंग की धू- धुकुट, धिमि-धिमि आदि गंभीर ध्वनि सुनने में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते।
झणझणझिझिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते।।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१०।।
जय जयकार करने और स्तुति करने वाले समस्त विश्व के द्वारा नमस्कृत, अपने नूपुर के झण-झण और झिम्झिम शब्दों से भूतपति महादेव को मोहित करने वाली, नटी-नटों के नायक अर्धनारीश्वर के नृत्य से सुशोभित नाट्य में तल्लीन रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते।
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते।।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।११।।
आकर्षक कान्ति के साथ अति सुन्दर मन से युक्त और रात्रि के आश्रय अर्थात चंद्र देव की आभा को अपने चेहरे की सुन्दरता से फीका करने वाली, काले भंवरों के सामान सुन्दर नेत्रों वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते।
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते।।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१२।।
महायोद्धाओं से युद्ध में चमेली के पुष्पों की भाँति कोमल स्त्रियों के साथ रहने वाली तथा चमेली की लताओं की भाँति कोमल भील स्त्रियों से जो झींगुरों के झुण्ड की भाँती घिरी हुई हैं, चेहरे पर उल्लास (खुशी) से उत्पन्न, उषाकाल के सूर्य और खिले हए लाल फूल के समान मुस्कान वाली, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्गजराजपते।
त्रिभुवनभूषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते।।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१३।।
जिसके कानों से अविरल (लगातार) मद बहता रहता है उस हाथी के समान उत्तेजित हे गजेश्वरी,तीनों लोकों के आभूषण रूप-सौंदर्य,शक्ति और कलाओं से सुशोभित हे राजपुत्री,सुंदर मुस्कान वाली स्त्रियों को पाने के लिए मन में मोह उत्पन्न करने वाली मन्मथ (कामदेव) की पुत्री के समान, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते।
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले।।
अलिकुलसकुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्वकुलालिकुले।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१४।।
जिनका कमल दल (पखुड़ी) के समान कोमल, स्वच्छ और कांति (चमक) से युक्त मस्तक है,हंसों के समान जिनकी चाल है,जिनसे सभी कलाओं का उद्भव हुआ है, जिनके बालों में भंवरों से घिरे कुमुदनी के फूल और बकुल पुष्प सुशोभित हैं उन महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री की जय हो, जय हो, जय हो।
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते।
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते।।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१५।।
जिनके हाथों की मुरली से बहने वाली ध्वनि से कोयल की आवाज भी लज्जित हो जाती है, जो खिले हुए फूलों से रंगीन पर्वतों से विचरती हुयी, पुलिंद जनजाति की स्त्रियों के साथ मनोहर गीत जाती हैं, जो सद्गुणों से सम्पान शबरी जाति की स्त्रियों के साथ खेलती हैं उन महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री की जय हो, जय हो, जय हो।
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे।
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे।।
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१६।।
जिनकी चमक से चन्द्रमा की रौशनी फीकी पड़ जाए ऐसे सुन्दर रेशम के वस्त्रों से जिनकी कमर सुशोभित है,देवताओं और असुरों के सर झुकने पर उनके मुकुट की मणियों से जिनके पैरों के नाखून चंद्रमा की भाति दमकते हैं और जैसे सोने के पर्वतों पर विजय पाकर कोई हाथी मदोन्मत होता है वैसे ही देवी के वक्ष स्थल कलश की भाँति प्रतीत होते हैं ऐसी हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
विजितसहसकरेक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते।
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते।।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१७।।
सहस्रों (हजारों) दैत्यों के सहस्रों हाथों से सहस्रों युद्ध जीतने वाली और सहस्रों हाथों से पूजित, सुरतारक (देवताओं को बचाने वाला) उत्पन्न करने वाली, उसका तारकासुर के साथ युद्ध कराने वाली, राजा सुरथ और समाधि नामक वैश्य की भक्ति से सामान रूप से संतुष्ट होने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे।
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्।।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१८।।
जो भी तुम्हारे दयामय पद कमलों की सेवा करता है,हे कमला!(लक्ष्मी) वह व्यक्ति कमलानिवास (धनी) कैसे न बने? हे शिवे! तुम्हारे पदकमल ही परमपद हैं उनका ध्यान करने पर भी परम पद कैसे नहीं पाऊंगा? हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
कनकलसत्कलसिन्धुजलेरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्।
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम्।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१९।।
सोने के समान चमकते हुए नदी के जल से जो तुम्हे रंग भवन में छिड़काव करेगा वो शची (इंद्राणी) के वक्ष से आलिंगित होने वाले इंद्र के समान सुखानुभूति क्यों न पायेगा? हे वाणी! (महासरस्वती) तुममे मांगल्य का निवास है, मैं तुम्हारे चरण में शरण लेता हूँ,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननुकूलयते।
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखीसु मुखीभिरसौ विमुखीक्रियते।
ममतु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुतक्रियते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।२०।।
तुम्हारा निर्मल चन्द्र समान मुख चन्द्रमा का निवास है जो सभी अशुद्धियों को दूर कर देता है, नहीं तो क्यों मेरा मन इंद्रपूरी की सुन्दर स्त्रियों से विमुख हो गया है? मेरे मत के अनुसार तुम्हारी कृपा के बिना शिव नाम के धन की प्राप्ति कैसे संभव हो सकती है? हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
अयि मयि दीन दयालु-तया कृपयेव त्वया भवितव्यमुमे।
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते।।
यदुचितमत्र भवत्पुररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।२१।।
हे दीनों पर दया करने वाली उमा। मुझ पर भी दया कर ही दो, हे जगत जननी! जैसे तुम दया की वर्ष करती हो वैसे ही तीरों की वर्ष भी करती हो,इसलिए इस समय जैसा तुम्हें उचित लगे वैसा करो मेरे पाप और ताप दूर करो,हे महिषासुर का मर्दन करने वाली बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।।
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Aigiri Nandini Lyrics in English:
Ayi Giri-Nandini Nandita-Medini Vishva-Vinodini Nandi-Nute
Giri-Vara-Vindhya-Shiro-[A]dhi-Nivaasini Vissnnu-Vilaasini Jissnnu-Nute |
Bhagavati He Shiti-Kannttha-Kuttumbini Bhuri-Kuttumbini Bhuri-Krte
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 1 ||
Sura-Vara-Varssinni Durdhara-Dharssinni Durmukha-Marssinni Harssa-Rate
Tribhuvana-Possinni Shangkara-Tossinni Kilbissa-Mossinni Ghossa-Rate
Danuja-Nirossinni Diti-Suta-Rossinni Durmada-Shossinni Sindhu-Sute
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 2 ||
Ayi Jagad[t]-Amba Mad-Amba Kadamba Vana-Priya-Vaasini Haasa-Rate
Shikhari Shiro-Manni Tungga-Himalaya Shrngga-Nija-[Aa]laya Madhya-Gate |
Madhu-Madhure Madhu-Kaittabha-Gan.jini Kaittabha-Bhan.jini Raasa-Rate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 3 ||
Ayi Shata-Khanndda Vikhannddita-Runndda Vitunnddita-Shunnda Gaja-[A]dhipate
Ripu-Gaja-Ganndda Vidaaranna-Canndda Paraakrama-Shunndda Mrga-[A]dhipate |
Nija-Bhuja-Danndda Nipaatita-Khanndda Vipaatita-Munndda Bhatta-[A]dhipate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 4 ||
Ayi Ranna-Durmada Shatru-Vadho[a-U]dita Durdhara-Nirjara Shakti-Bhrte
Catura-Vicaara Dhuriinna-Mahaashiva Duuta-Krta Pramatha-[A]dhipate |
Durita-Duriiha Duraashaya-Durmati Daanava-Duta Krtaanta-Mate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 5 ||
Ayi Sharannaagata Vairi-Vadhuvara Viiravara-[A]bhaya Daaya-Kare
Tri-Bhuvana-Mastaka Shula-Virodhi Shiro-[A]dhikrta-[A]mala Shula-Kare |
Dumi-Dumi-Taamara Dhundubhi-Naadam-Aho-Mukhariikrta Dingma-Kare
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 6 ||
Ayi Nija-Hungkrti Maatra-Niraakrta Dhumravilocana Dhumra-Shate
Samara-Vishossita Shonnita-Biija Samudbhava-Shonnita Biija-Late |
Shiva-Shiva-Shumbha Nishumbha-Mahaahava Tarpita-Bhuta Pishaaca-Rate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 7 ||
Dhanur-Anussangga Ranna-Kssanna-Sangga Parisphurad-Angga Nattat-Kattake
Kanaka-Pishangga Prssatka-Nissangga Rasad-Bhatta-Shrngga Hataa-Battuke |
Krta-Caturangga Bala-Kssiti-Rangga Ghattad-Bahu-Rangga Rattad-Battuke
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 8 ||
Sura-Lalanaa Tatatheyi Tatheyi Krta-Abhinayo-[U]dara Nrtya-Rate
Krta Kukuthah Kukutho Gaddadaadika-Taala Kutuuhala Gaana-Rate |
Dhudhukutta Dhukkutta Dhimdhimita Dhvani Dhiira Mrdamga Ninaada-Rate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 9 ||
Jaya Jaya Japya Jaye-Jaya-Shabda Para-Stuti Tat-Para-Vishva-Nute
Jhanna-Jhanna-Jhin.jhimi Jhingkrta Nuupura-Shin.jita-Mohita Bhuuta-Pate |
Nattita Nattaardha Nattii Natta Naayaka Naattita-Naattya Su-Gaana-Rate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 10 ||
Ayi Sumanah-Sumanah-Sumanah Sumanah-Sumanohara-Kaanti-Yute
Shrita-Rajanii Rajanii-Rajanii Rajanii-Rajanii Kara-Vaktra-Vrte |
Sunayana-Vi-Bhramara Bhramara-Bhramara Bhramara-Bhramara-[A]dhipate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 11 ||
Sahita-Mahaahava Mallama-Tallika Malli-Tarallaka Malla-Rate
Viracita-Vallika Pallika-Mallika Jhillika-Bhillika Varga-Vrte |
Shita-Krta-Phulla Samullasita-[A]runna Tallaja-Pallava Sal-Lalite
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 12 ||
Avirala-Ganndda Galan-Mada-Medura Matta-Matangga ja-Raaja-Pate
Tri-Bhuvana-Bhussanna Bhuuta-Kalaanidhi Ruupa-Payo-Nidhi Raaja-Sute |
Ayi Sudatii-Jana Laalasa-Maanasa Mohana Manmatha-Raaja-Sute
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 13 ||
Kamala-Dala-[A]mala Komala-Kaanti Kalaa-Kalita-[A]mala Bhaalalate
Sakala-Vilaasa Kalaa-Nilaya-Krama Keli-Calat-Kala Hamsa-Kule |
Alikula-Sangkula Kuvalaya-Mannddala Mouli-Milad-Bakula-Ali-Kule
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 14 ||
Kara-Muralii-Rava Viijita-Kuujita Lajjita-Kokila Man.ju-Mate
Milita-Pulinda Manohara-Gun.jita Ran.jita-Shaila Nikun.ja-Gate |
Nija-Ganna-Bhuuta Mahaa-Shabarii-Ganna Sad-Gunna-Sambhrta Keli-Tale
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 15 ||
Kattitatta-Piita Dukuula-Vicitra Mayukha-Tiraskrta Candra-Ruce
Prannata-Suraasura Mouli-Manni-Sphura d-Amshula-Sannakha Candra-Ruce
Jita-Kanaka-[A]cala Mouli-Mado[a-Uu]rjita Nirbhara-Kun.jara Kumbha-Kuce
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 16 ||
Vijita-Sahasra-Karaika Sahasra-Karaika Sahasra-Karaika-Nute
Krta-Sura-Taaraka Sanggara-Taaraka Sanggara-Taaraka Suunu-Sute |
Suratha-Samaadhi Samaana-Samaadhi Samaadhi-Samaadhi Sujaata-Rate |
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 17 ||
Pada-Kamalam Karunnaa-Nilaye Varivasyati Yo-[A]nudinam Su-Shive
Ayi Kamale Kamalaa-Nilaye Kamalaa-Nilayah Sa Katham Na Bhavet |
Tava Padam-Eva Param-Padam-Ity-Anushiilayato Mama Kim Na Shive
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 18 ||
Kanaka-Lasat-Kala-Sindhu-Jalair-Anussin.cati Te-Gunna-Rangga-Bhuvam
Bhajati Sa Kim Na Shacii-Kuca-Kumbha-Tattii-Parirambha-Sukha-[A]nubhavam |
Tava Carannam Sharannam Kara-Vaanni Nata-Amara-Vaanni Nivaasi Shivam
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 19 ||
Tava Vimale[a-I]ndu-Kulam Vadane[a-I]ndu-Malam Sakalam Nanu Kuula-Yate
Kimu Puruhuuta-Purii-Indu Mukhii Sumukhiibhir-Asou Vimukhii-Kriyate |
Mama Tu Matam Shiva-Naama-Dhane Bhavatii Krpayaa Kimuta Kriyate
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 20 ||
Ayi Mayi Diina Dayaalu-Tayaa Krpaya-Iva Tvayaa Bhavitavyam-Ume
Ayi Jagato Jananii Krpayaasi Yathaasi Tathanu-mita-Asira-Te |
Yad-Ucitam-Atra Bhavatyurarii-Kurutaa-Duru-Taapam-Apaakurute
Jaya Jaya He Mahissaasura-Mardini Ramya-Kapardini Shaila-Sute || 21 ||
Song Info:
Song: Aigiri Nandini Nanditha Medhini
Stotram: Mahisasurmardini Stotram
Language: Sanskrit
Singer: Maithili Thakur
Original Lyrics by: Adi Shankaracharya
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